नइ सुबह
पुराने नावल के पन्नों मे
गुलाब की पंखुडीयाँ, सुखाइ हुइ सी
सूखे रंग पर अर्थ वही…
बारीश में भीगे, तुम्हारे बालों मे
कइ बार उँगलीयाँ, फिरायी हुइ सी
अंदाज नया पर खुशबू वही…
ये सुबह
नयी है, पर कहीं कहीं से पुरानी सी भी तो है
उषा की किरण
जमीन पे है, पर आसमानी सी भी तो है…
नया है क्या
ये साल, या सवाल ?
जब आपने कहा कि नया साल आया है
मुझे क्यूँ लगा कि पुराने शराब कि बोतल में
फिर से नया माल आया है…